

नई दिल्ली. ट्रेन में एसी क्लास में सफर करने वाले यात्री अपना गंतव्य स्टेशन आते ही चादर, कंबल एक तरफ फेंकते हैं या किसी खाली सीट पर डालते हैं. नीचे से अपना लगेज निकालते हैं और चले जाते हैं. आप यह मानते हैं कि कंबल-तकिए अटेंडेंट आएगा और उठा ले जाएगा. लेकिन आपने कभी सोचा है कि अगर आपकी सीट पर रखा कंबल-तकिए बगल में बैठा यात्री ले जाए तो क्या आप पर कार्रवाई हो सकती है. इस संबंध में क्या है रेल मैन्युअल, आइए जाने.
भारतीय रेलवे साल भर में करीब 800 करोड़ लोगों को एक ओर से दूसरे ओ ले जाता है. औसतन 1.85 करोड़ लोग राजाना सफर करते हैं. इनमें नॉन एसी से सफर करने वाले यात्रियों की तादाद बहुत ज्यादा होती है. इनमें रोजाना 1.77 करोड़ यात्री नॉन एसी और सामान्य श्रेणी में सफर करते हैं. वहीं एसी क्लास से सफर करने वालों की संख्या 8.57 लाख के करीब रहती है. इन लोगों के लिए वंदेभारत, राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के अलावा मेल और एक्सप्रेस कुल मिलाकर 2122 ट्रेनें रोजाना दौड़ती हैं.
जानिए भारतीय रेलवे का खास नियम
रेल मंत्रालय के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को चादर या कंबल ले जाते हुए पकड़ा जाता है तो उस यात्री पर रेलवे जीआरपी को सौंपता है और आवश्यक कार्रवाई की जाती है. रेलवे का तर्क है कि जब किसी व्यक्ति को चादर, कंबल नहीं मिलता है तो वो अटेंडेंट से मांगता है, यात्री अपना सीट नंबर बताता है. इसी तरह अगर किसी बर्थ से चादर, कंबल गायब होता है तो उसी यात्री की जिम्मेदारी होती है, जिसके नाम पर टिकट है. रेलवे अगर चाहे तो उस पर कार्रवाई कर सकता है, क्योंकि उसने कंबल, चादर मांगा था. नियम के अनुसार यात्री की जिम्मेदारी है कि अटेंडेंट को चादर, कंबल तकिया सौंप कर जाए.
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