
Odd-Even in Delhi: जैसे ही दिल्ली में ऑड-ईवन का नाम आता है दिल्ली-एनसीआर में निजी गाड़ियों से सफर करने वाले लोगों की चिंता बढ़ जाती है. हालांकि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ऑड-ईवन लागू करने की भी बात कही है.
Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए ऑड ईवन योजना को फिर से लागू किया जा सकता है. दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के 21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान में रेड लाइट पर गाड़ी ऑफ से लेकर ऑड ईवन, वर्क फ्रॉम होम, दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश के साथ ही ग्रैप यानि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को सख्ती से लागू करने की बात कही गई है. हालांकि इन सभी को लेकर एक्सपर्ट की मानें तो पिछले कुछ सालों के परिणामों को देखें तो ऑड-ईवन के चलते दिल्ली के प्रदूषण पर कम लेकिन सफर करने वाले लोगों पर ज्यादा असर पड़ता है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में एयर पॉल्यूशन कंट्रोल यूनिट में प्रिंसिपल प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्याय कहते हैं कि सितंबर में ही दिल्ली में प्रदूषण स्तर बढ़ने लगा है. जैसे-जैसे मौसम में बदलाव होगा और हवा की रफ्तार सुस्त होगी, अक्टूबर के मध्य तक हवा की क्वालिटी ज्यादा खराब हो सकती है. हालांकि सरकार दिल्ली के अंदर गाड़ियों के आवागमन को कम करने के लिए ऑड-ईवन लागू करने की बात कह रही है, जो कितना सफल होगा, इसको कहना मुश्किल है. इसके पीछे कई वजहें हैं, जिन्हें जानना जरूरी है.
ऑड-ईवन अभी लागू करना समाधान नहीं
विवेक कहते हैं कि सरकार अगर प्रदूषण नियंत्रण के लिए शुरुआत में ही ऑड-ईवन को लागू करती है तो इससे फायदा कम और परेशानी ज्यादा होगी. सम या विषम नंबर की गाड़ी का ये नियम सिर्फ तभी लागू किया जाना चाहिए जब हालात बेहद गंभीर हो जाएं, और अन्य कोई रास्ता न बचे. वह भी सिर्फ 4-6 दिन की सीमित अवधि के लिए. इसकी कई वजहें हैं..
ये पांच हैं वजहें..
. पड़ौसी शहरों में नहीं होगा लागू
दिल्ली सरकार अगर ऑड-ईवन लागू कर भी देती है तो आसपास के शहरों जैसे नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद आदि में यह सिस्टम लागू नहीं होगा, ऐसे में सिर्फ दिल्ली से गुजरने के लिए लोगों को इस नियम को फॉलो करना है, जबकि बाकी जगहों के लिए नहीं, तो इससे दो चीजें होंगी. एक तो प्रदूषण के स्तर में उतनी गिरावट नहीं आएगी, जितनी सभी शहरों में लागू होने से आ सकती है, दूसरा इससे आसपास के शहरों के लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ेगी, जिससे वे बाइपास होने के विकल्प तलाशेंगे.
. टू-व्हीलर्स पर नहीं होता लागू
चूंकि ऑड ईवन सिर्फ चार पहिया गाड़ियों पर लागू होता है और टू व्हीलर्स पर नहीं होता, जबकि टू व्हीलर्स की संख्या भी दिल्ली में काफी ज्यादा है. ये गाड़ियां भी प्रदूषण फैलाने में अव्वल हैं, ऐसे में फोर व्हीलर्स के ऑड-ईवन से बहुत ज्यादा फायदा होने की उम्मीद कम है.
. लोग 8 बजे से पहले करेंगे ट्रैवल, पॉल्यूशन होगा शिफ्ट
ऑड ईवन योजना सुबह के 8 बजे से रात के 8 बजे के बीच में लागू होती है. इस दौरान एक दिन ऑड नंबर की गाड़ियां आवागमन करेंगी और दूसरे दिन ईवन नंबर की. लेकिन देखा जाता है कि ऑड-ईवन से बचने के लिए लोग सुबह 8 बजे से पहले और रात को 8 बजे के बाद ट्रैवल करना शुरू कर देते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि ट्रैफिक और पॉल्यूशन दोनों ही शिफ्ट हो जाते हैं. प्रदूषण दिन में कम और रात में ज्यादा होने लगता है. इससे फायदा कुछ नहीं होता.
. पुरानी गाड़ियां फैलाएंगी प्रदूषण
ऑड-ईवन की स्थिति में लोग उन पुरानी गाड़ियों का इस्तेमाल भी शुरू कर देते हैं, जो बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं. जैसे डीजल की या बीएस 3, बीएस 4 इंजन वाली गाड़ियां. बहुत सारे लोग सिर्फ नंबर ऑड ईवन दिखाने के लिए रिटायर्ड गाड़ियों को भी सड़क पर ले आते हैं जो सामान्य से ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं. लिहाजा ऑड ईवन पॉलिसी फायदे की जगह नुकसानदेह होने लगती है. सरकार को चाहिए कि इस मौसम में ऐसी गाड़ियों पर भी पाबंदी लगानी चाहिए.
. बढ़ जाता है ट्रैफिक
प्रदूषण और ठंड के दिनों में जब विजिविलिटी भी कम होने लगती है तो ऑड ईवन लागू करने पर देखा गया है कि अचानक सड़कों पर ट्रैफिक जाम या ट्रैफिक की समस्या कम होने की जगह बढ़ जाती है. निजी गाड़ियों की जगह ऑटो रिक्शा, या कैब्स आदि की संख्या भी बढ़ जाती है. परिवहन के सीमित साधनों में भीड़ बढ़ जाती है. इसलिए जरूरी है कि अचानक ऑड ईवन का झटका देने से पहले सरकार पहले तमाम उपायों पर काम करे और प्रदूषण से निपटने के लिए पूरा इंन्फ्रास्ट्रक्चर और योजना पर काम हो.
सितंबर नहीं पहले से होना चाहिए काम
विवेक कहते हैं कि प्रदूषण दिल्ली की पुरानी समस्या है. हर साल ये हालात पैदा होते हैं. इसके लिए सितंबर में जागने से काम नहीं चलने वाला. पूरे साल भर प्रदूषण को ध्यान में रखकर काम होने चाहिए, ताकि जब ये मौसम आए तो आनन-फानन में फैसले न करने पड़ें.