
सार
आगरा में जनता की छोड़िए जनप्रतिनिधियों की भी सुनवाई नहीं हो रही है। संपूर्ण समाधान दिवस पर हर माह पुलिस विभाग की 60 से 70 शिकायतें पहुंच रहीं हैं।
विस्तार
उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस हो या प्रशासन, या कोई अन्य विभाग। यहां जनता की तो छोड़िए जनप्रतिनिधियों की भी सुनवाई नहीं हो रही है। भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश के बयान में यह दर्द झलका। उन्होंने कमिश्नरेट पुलिस प्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया। इधर, अन्य जनप्रतिनिधियों का अनुभव भी सिस्टम को लेकर अच्छा नहीं रहा।
पुलिस चौकी, थाना स्तर से लेकर एसीपी, डीसीपी व पुलिस कमिश्नर कार्यालय तक फरियादियों की कतार है। चौकी व थाने में सुनवाई नहीं होने पर आला हाकिमों से गुहार लगानी पड़ती है। दूसरी तरफ तहसील स्तर पर संपूर्ण समाधान दिवस में हर माह 60 से 70 शिकायतें पुलिस विभाग की पहुंच रही हैं। कोई पुलिस की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं है तो कोई पुलिस कर्मियों के व्यवहार से।
कोई घटना के खुलासे तो कोई जांच व विवेचना पर सवाल खड़े कर रहा है। उधर, आईजीआरएस, सीएम हेल्पलाइन, डीएम व अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में भी फर्जीवाड़ा हो रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय से इनका फीडबैक लिया गया गई तो यह हकीकत सामने आई। इसके बाद मंगलवार को ही मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने डीएम को लापरवाह अधिकारियों के प्रति सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।