
जब सरकार का खर्च उसकी कमाई से ज्यादा हो जाता है, तो कर्ज लेना पड़ता है. जितना ज्यादा कर्ज लेना पड़ेगा, उतना ही ज्यादा राजकोषीय घाटा होगा. राजकोषीय घाटा दिखाता है कि सरकार की आर्थिक हालत कैसी है.
भारत ने अपने राजकोषीय घाटे को काफी हद तक कम कर लिया है. कोरोना महामारी के दौरान 2020-21 में यह GDP का 9.2% था, जो 2023-24 में घटकर 5.6% रह गया है. 2024-25 के लिए इसे 4.9% रखने का लक्ष्य है.