रोहित कुमार, चंडीगढ़। किसानों और केंद्र सरकार के बीच आखिर करीब एक वर्ष बाद 14 फरवरी को एक बार फिर वार्ता शुरू होने जा रही है। किसान संगठनों और केंद्र के बीच जमी बर्फ को पिघलाने में पुलिस के सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी जसकरण सिंह और नरिंदर भार्गव ने अहम भूमिका निभाई है।
1998 बैच के आईपीएस अधिकारी जसकरण सिंह 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए, जबकि 2008 बैच के आईपीएस अधिकारी नरिंदर भार्गव 30 जून को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति से पहले जसकरण सिंह एडीजीपी इंटेलिजेंस के रूप में तैनात थे, जबकि नरिंदर भार्गव डीआईजी विजिलेंस ब्यूरो के रूप में तैनात थे।

2020 में किसान आंदोलन में भार्गव की थी अहम भूमिका

किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत शुरू होने पर नरिंदर भार्गव ने कहा कि एक वर्ष बाद बातचीत शुरू होना एक सकारात्मक कदम है। उम्मीद है की 14 फरवरी को होने जा रही बैठक में समस्या का हल निकलेगा।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधा लेने, किसानों को सुप्रीम कोर्ट कमेटी टीम और केंद्रीय टीम से बातचीत के लिए मानने में समय तो लगा लेकिन देर आए दरुस्त आए। 

खास बात यह है कि 2020 में हुए किसान आंदोलन में भी नरिंदर भार्गव की अहम भूमिका रही थी। उस समय किसानों व केंद्र के बीच जो 12 दौर से ज्यादा की बातचीत हुई थी, उन सभी में भार्गव ने विशेष योगदान दिया था।

इस घटना में जसकरण सिंह ने की थी मध्यस्थता

आईपीएस जसकरण सिंह मध्यस्थ के रूप में तब सामने आए जब सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनके पिता बलकौर सिंह ने धमकी दी थी कि अगर उनके मुद्दों को हल नहीं किया तो वह देश छोड़ देंगे।

तब जसकरण सिंह ने बलकौर सिंह को मनाया था। इसके बाद उन्होंने तब अहम भूमिका निभाई जब किसान संगठन बीकेयू और पंजाब खेत मजदूर यूनियन के चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।

121 किसानों ने खत्म किया अनशन

बातचीत के प्रस्ताव के बाद 55 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने शनिवार मध्यरात्रि से उपचार लेना आरंभ कर दिया है।

खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा सीमा में अनशन पर बैठे 121 किसानों ने डल्लेवाल के आग्रह के बाद मरणव्रत समाप्त कर दिया है तथा वापस लौट आए हैं।

भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के महासचिव काका सिंहह कोटड़ा ने पत्रकारों से कहा कि केंद्र ने केवल मांगों पर बातचीत का प्रस्ताव दिया है, किसानों की मांगें अभी हल नहीं हुई हैं।