
खनौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच 14 फरवरी को बातचीत होगी। किसानों को मनाने में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जसकरण सिंह और नरिंदर भार्गव की अहम भूमिका है। भार्गव ने 2020 के किसान आंदोलन में भी अहम योगदान दिया था। वहीं जसकरण सिंह ने सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह को मनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
HighLights
- आंदोलन के एक साल बाद केंद्र और किसानों के बीच होगी बातचीत
- 56 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे हैं डल्लेवाल
2020 में किसान आंदोलन में भार्गव की थी अहम भूमिका
किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत शुरू होने पर नरिंदर भार्गव ने कहा कि एक वर्ष बाद बातचीत शुरू होना एक सकारात्मक कदम है। उम्मीद है की 14 फरवरी को होने जा रही बैठक में समस्या का हल निकलेगा।
खास बात यह है कि 2020 में हुए किसान आंदोलन में भी नरिंदर भार्गव की अहम भूमिका रही थी। उस समय किसानों व केंद्र के बीच जो 12 दौर से ज्यादा की बातचीत हुई थी, उन सभी में भार्गव ने विशेष योगदान दिया था।
इस घटना में जसकरण सिंह ने की थी मध्यस्थता
आईपीएस जसकरण सिंह मध्यस्थ के रूप में तब सामने आए जब सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनके पिता बलकौर सिंह ने धमकी दी थी कि अगर उनके मुद्दों को हल नहीं किया तो वह देश छोड़ देंगे।
तब जसकरण सिंह ने बलकौर सिंह को मनाया था। इसके बाद उन्होंने तब अहम भूमिका निभाई जब किसान संगठन बीकेयू और पंजाब खेत मजदूर यूनियन के चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
121 किसानों ने खत्म किया अनशन
बातचीत के प्रस्ताव के बाद 55 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने शनिवार मध्यरात्रि से उपचार लेना आरंभ कर दिया है।
खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा सीमा में अनशन पर बैठे 121 किसानों ने डल्लेवाल के आग्रह के बाद मरणव्रत समाप्त कर दिया है तथा वापस लौट आए हैं।
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के महासचिव काका सिंहह कोटड़ा ने पत्रकारों से कहा कि केंद्र ने केवल मांगों पर बातचीत का प्रस्ताव दिया है, किसानों की मांगें अभी हल नहीं हुई हैं।