जागरण संवाददाता, कानपुर। जीएसटी के अधिकारियों के लिए अब उद्यमियों व कारोबारियों को गिरफ्तार करना आसान नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए जीएसटी के अधिकारियों से कहा गया है कि वे अब रीजन फार अरेस्ट नहीं बताएंगे। इसकी जगह गिरफ्तार किए जाने वाले उद्यमी या कारोबारी को ग्राउंड्स आफ अरेस्ट लिखित रूप से देना होगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 13 जनवरी को इसके संबंध में निर्देश जारी किया है।
अभी तक किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाते समय रीजन फार अरेस्ट (गिरफ्तारी का कारण) बताना होता है। जीएसटी के अधिकारी भी इसी के तहत उद्यमियों या कारोबारियों को गिरफ्तार करते समय उन्हें रीजन फार अरेस्ट बताते हैं।

15 मई 2024 को दिया गया था निर्देश

जीएसटी अधिकारियों द्वारा इस तरह की जाने वाली गिरफ्तारी पर 15 मई 2024 को आदेश दिया था कि रीजन फॉर अरेस्ट की जगह उन्हें ग्राउंड्स ऑफ अरेस्ट बताना चाहिए। इसके बाद भी एक और मामला हुआ जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2024 को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिकारी उस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं।

मर्चेंट्स् चैंबर आफ उत्तर प्रदेश की जीएसटी कमेटी के सलाहकार सीए धर्मेन्द्र श्रीवास्तव के मुताबिक अभी तक अधिकारी गिरफ्तारी के समय एक तय फार्मट पर रीजन फार अरेस्ट उद्यमियों व कारोबारियों को पकड़ा देते थे जिसमें बताया जाता था कि मामला कर चोरी का प्रतीत होता है। जब तक हम जांच कर रहे हैं तब तक जांच में कोई गड़बड़ी न करें, इसलिए इन्हें गिरफ्तार कर रहे हैं।

बताना होगा गिरफ्तारी का आधार

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 13 जनवरी को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने निर्देश दिया है कि ग्राउंड्स ऑफ अरेस्ट बताना है। इसमें बताना होगा कि कारोबारी का अपराध क्या है। उसने कितने की कर चोरी की है। इसके साथ ही गिरफ्तारी का आधार क्या है। इसे लिखित रूप में इसलिए देना होगा क्योंकि जब कारोबारी जमानत के लिए कोर्ट जाए तो अदालत को गिरफ्तारी के आधार देखने हों। अभी तक अदालत को पूरी जांच करनी होती थी।

पहले गिरफ्तारी में कारोबारी की तीन चार माह जमानत हो जाती थी लेकिन उनकी छवि खराब होती थी। इसलिए अब अधिकारियों को गिरफ्तारी के आधार में सभी जानकारी देनी होगी और इसके लिए सजग रहना होगा।