
RK Sinha Net Worth- आज SIS समूह को एशिया प्रशांत क्षेत्र में मैनपावर सुरक्षा व्यवसाय में अग्रणी के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसमें 36,000 से अधिक स्थायी कर्मचारी और 3000 कॉर्पोरेट ग्राहक हैं.
नई दिल्ली. बिहार की राजधानी पटना में रविवार यानी 3 नवंबर को हुई एक घटना के बाद से ही अचानक आरके सिन्हा चर्चा में आ गए हैं. हुआ दरअसल ये था कि चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर पटना सिटी स्थित आदि चित्रगुप्त मंदिर नोजर घाट पर हुए एक कार्यक्रम में अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने बीजेपी नेता और व्यवसायी आरके सिन्हा (RK Sinha) के पैर छू लिए. इस घटना के बाद से ही आरके सिन्हा के बारे में जानने को हर कोई उत्सुक हैं. सिन्हा का पूरा नाम रविंद्र किशोर सिन्हा हैं. वे भारत की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा प्रदाता फर्म सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (SIS) के संस्थापक हैं. 1974 में उन्होंने पटना में कंपनी की नींव रखी थी. आज उनकी कंपनी भारत के अलावा आस्ट्रेलिया सहित कई देशों में सेवाएं दे रही हैं. फोर्ब्स के अनुसार, आरके सिन्हा की मौजूदा नेटवर्थ (RK Sinha Net Worth) 8300 करोड़ (1 बिलियन डॉलर) रुपये है.
आज SIS समूह को एशिया प्रशांत क्षेत्र में मैनपावर सुरक्षा व्यवसाय में अग्रणी के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसमें 36,000 से अधिक स्थायी कर्मचारी और 3000 कॉर्पोरेट ग्राहक हैं. आरके सिन्हा की एसआईएस को सबसे ज्यादा राजस्व आस्ट्रेलिया से आता है. एसआईएस ने नकद रसद सेवाएं (Cash Logistics Services) प्रदान करने के लिए स्पेन की प्रोसेगुर के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाया है. आरके सिन्हा न केवल एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि वे एक राजनेता भी हैं. सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं.
पत्रकार के रूप में किया काम
पटना के एक सीमित संसाधनों वाले परिवार में पैदा हुए आरके सिन्हा ने 1971 में राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की. परिवार की आर्थिक मदद करने को पढाई पूरी करते ही वे एक प्रकाशन में प्रशिक्षु रिपोर्टर के रूप में अंशकालिक नौकरी करने लगे. उसी दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया. उन्होंने युद्ध के मोर्चे पर जाकर रिपोर्टिंग की. यहां उनकी दोस्ती बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के साथ हुई. युद्ध समाप्त होने के बाद वे 1973 में शुरू हुए जेपी आंदोलन के समर्थक हो गए. इस वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.
250 रुपये से शुरू किया कारोबार
आरके सिन्हा को पत्रकारिता की नौकरी से निकालते वक्त कंपनी ने दो महीने का वेतन दिया था, जो 250 रुपये था. उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें. उनके एक दोस्त का कंस्ट्रक्शन का व्यवसाय था. उसने बताया कि उसे प्रोजेक्ट साइट की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की तलाश है. युद्ध के समय सिन्हा की दोस्ती बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के साथ हो गई थी. जब ये बात उन्होंने अपने दोस्त को बताई तो उसने उन्हें एक सिक्योरिटी कंपनी बनाने का सुझाव दिया.
आरके सिन्हा ने पूर्व सैनिकों से संपर्क किया. उनमें से बहुत से काम सेवानिवृत्ति के बाद काम की तलाश में थे. फरवरी 1974 में पटना में दो कमरों के गैराज में SIS की स्थापना की. उन्होंने बिहार रेजिमेंट में अपने संपर्कों से मुलाकात की और सेवानिवृत्त कर्मियों का विवरण लिया. उनसे संपर्क कर उन्हें अपनी कंपनी में काम करने को राजी किया. एसआईएस की स्थापना के एक वर्ष के भीतर ही कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 250-300 हो गई और टर्नओवर 1 लाख रुपये पर कर गया.
आस्ट्रेलिया फर्म का किया अधिग्रहण
स्थापना के बाद कुछ ही वर्षों में एसआईएस ने शानदार सफलता हासिल की और भारत की अग्रणी निजी सुरक्षा प्रदाता फर्म बन गई. फिर कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी, चब सिक्योरिटी का 300 मिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया. पैसे जुटाने को एसआईएस की 14% हिस्सेदारी न्यूयॉर्क स्थित हेज फंड डीई शॉ को बेचनी पड़ी. इस सौदे से एसआईएस सुरक्षा सेवा उद्योग में पहली भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी बन गई. आज एसआईएस ग्रुप में एसएलवी, यूनिक डिडेक्टिव एंड सिक्योरिटी सर्विस लिमिटेड, टेक एसआईएस, साउथर्न क्रॉस प्रोटेक्शन, हिंडर्सन, एमएसएस सिक्योरिटी और रेयर हॉस्पिलिटी जैसे कंपनियां शामिल हैं.