
Lawrence Bishnoi Acquitted: गुजरात के साबरमती जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई के वकील करण सोफत ने कहा कि अदालत ने बिश्नोई और उसके साथियों को बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा.
लुधियाना. पंजाब की एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गुरुवार को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके दो साथियों को 13 साल पुराने फायरिंग मामले में बरी कर दिया है. सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. अब यह बड़ा सवाल है कि क्या लॉरेंस बिश्नोई जेल से बाहर आएगा. बताया जा रहा है कि बिश्नोई पर अभी कुछ और आपराधिक मामले दर्ज है जिन पर सुनवाई जारी है इसलिए जेल से बाहर आना मुश्किल है.
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमआईसी) नेहा जिंदल की अदालत ने बिश्नोई और उसके दो साथियों नवप्रीत सिंह और तरसेम सिंह को बरी कर दिया है. तीनों पर सेक्टर 69 में कथित तौर पर गोलियां चलाने के आरोप में 2011 में फेज VIII पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. बिश्नोई के वकील करण सोफत ने कहा कि अदालत ने बिश्नोई और उसके साथियों को बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा.
क्या है मामला?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 4/5 फरवरी की रात को गैंगस्टर और उसके दो साथी कथित तौर पर सेक्टर 69 में एक घर में जबरन घुसे और फतेहगढ़ साहिब जिले के मूल निवासी सतविंदर सिंह उर्फ सत्तू पर हमला किया. सतविंदर चंडीगढ़ के सेक्टर 26 में एक कॉलेज का छात्र था और अपने दोस्तों के साथ सेक्टर 69 में किराए पर रह रहा था.
क्या था अभियोजन पक्ष का दावा?
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि घटना की रात सत्तू अपने किराए के घर में मौजूद था, जब बिश्नोई और उसके साथी जबरन घर में घुसे और उस पर धारदार हथियारों से हमला किया और गोली भी चलाई. स्थानीय पुलिस ने गैंगस्टर और उसके साथियों के खिलाफ फेज VIII पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 452 (किसी को चोट पहुंचाने या हमला करने या किसी को गलत तरीके से रोकने के इरादे से घर में जबरन घुसना), 506 (आपराधिक धमकी), 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट पहुंचाना), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 149 (अवैध रूप से एकत्र होना), 336 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य) और शस्त्र अधिनियम की धारा 25, 54 और 59 के तहत मामला दर्ज किया था.