
भारत में कारोबार करने वालों का साल 12 नहीं 14 महीने का होता है। 12 सामान्य महीने। एक महीना दीपावली या फेस्टिव सीजन का और एक महीना लग्न-सरा का। फेस्टिव सीजन और शादियों के सीजन में 2 महीनों के बराबर अतिरिक्त कारोबार हो जाता है। यह एक सामान्य अनुमान है। इन दोनों सीजन में भारत के लोगों को सोना बहुत प्रिय है और इसलिए सोने की खपत यहां इन महीनों में ज्यादा होती है। वैश्विक बाजार में भी सोने की मांग बढ़ती जा रही है। भारत में, सोने की खपत न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि उद्योगों में भी बढ़ रही है, जैसे आभूषण निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा उपकरणों में सोने का उपयोग।
सोने का आयात अधिक होने का एक कारण यह भी है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधीकृत करने के लिए सोने की खरीदारी को प्राथमिकता दी है। सोना एक सुरक्षित और तरल संपत्ति मानी जाती है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की सोने की खरीदारी का एक मुख्य उद्देश्य डॉलर पर निर्भरता को कम करना भी है। जब वैश्विक बाजार में डॉलर की ताकत बढ़ती है, तो सोना एक सुरक्षित विकल्प बन जाता है।