
बीजेपी लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की फैजाबाद (अयोध्या) सीट हार गई थी और फिर विधानसभा उपचुनाव में उत्तराखंड की बदरीनाथ की सीट भी नहीं जीत पाई. इन दो सीटों को लेकर विपक्ष ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. ऐसे में अब श्री माता वैष्णो देवी सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को 26 सीटों के लिए हुए मतदान में 56 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया. कई स्थानो पर उत्साह से भरे मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं.
इस दौरान सबसे अधिक वोटिंग हॉट सीट में शुमार वैष्णो देवी सीट पर हुई, जहां 79.95 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. नई सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है. बीजेपी ने इस सीट को लेकर पूरी ताकत झोंक रखी थी और खुद पीएम मोदी इस सीट को लेकर प्रचार के लिए कटरा पहुंचे थे.
पीएम मोदी ने किया था रोडशो
19 सितंबर को पीएम मोदी ने कटरा में करीब दो किलोमीटर लंबा रोड शो किया था. पीएम मोदी ने कहा, “यहां (जम्मू-कश्मीर में) एक ऐसी सरकार की जरूरत है, जो हमारी आस्था का सम्मान करे और हमारी संस्कृति को बढ़ावा दे.”
पीएम मोदी की वैष्णो देवी मंदिर को लेकर आस्था किसी से छिपी नहीं है. 2014 में जब उन्हें बीजेपी ने पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया तो उन्होंने लोकसभा अभियान की शुरुआत करने से पहले मंदिर में प्रार्थना की थी. इस बार, महत्व दोगुना हो गया है, क्योंकि 2022 के परिसीमन के बाद, अब श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट है, जो रियासी और उधमपुर विधानसभा क्षेत्रों से अलग हो गई है.
अयोध्या और बद्रीनाथ में मिली हार के बार अब नजर वैष्णो देवी सीट पर
हाल के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की फैजाबाद (अयोध्या) सीट हार गई थी और फिर विधानसभा उपचुनाव में उत्तराखंड की बदरीनाथ की सीट भी नहीं जीत पाई थी. इन दो सीटों को लेकर विपक्ष ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. ऐसे में अब श्री माता वैष्णो देवी सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है और यही वजह है कि पार्टी ने प्रचार में यहां कोई कमी नहीं छोड़ी.
बीजेपी ने यहां बदला था अपना उम्मीदवार
हालाकि, भाजपा की राह यहां आसान नहीं दिख रही है क्योंकि उसके उम्मीदवार बलदेव राज शर्मा, जो पूर्व में रियासी से विधायक रह चुके हैं, उन्हें यहां कई तरह से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके सामने कुल सात उम्मीदवार हैं जिसमें कांग्रेस से भूपेंद्र सिंह भी शामिल हैं.
बीजेपी के लिए चुनौती इसलिए भी है क्योंकि उसने इस सीट पर अपना उम्मीदवार बदला है. पहले इस सीट पर रोहित दुबे को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन बाद में उनकी जगह बलदेव शर्मा को टिकट दे दिया गया. इसके बाद रोहित दुबे के समर्थक नाराज हो गए और सड़कों पर उतरकर अपनी नाराजगी जाहि की थी.
बारीदार समुदाय ने खड़ा किया अपना उम्मीदवार
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वैष्णो देवी मंदिर के पूर्व संरक्षक बारीदार बीजेपी के लिए इस सीट पर सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो सकते हैं. पहले भाजपा का समर्थन करने वाले इस समुदाय ने इस बार अपने उम्मीदवार शाम सिंह को मैदान में उतारा है. यदि शाम सिंह को समुदाय से 14,000 वोट मिलते हैं, तो वह बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
पीढ़ियों से वैष्णो देवी मंदिर में आरती करने वाले बारीदार, मंदिर में पूर्ण पूजा करने के अपने अधिकारों की बहाली और श्राइन बोर्ड में अपने परिवार के सदस्यों के लिए नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. समुदाय के सदस्य अपनी समस्याओं का “स्थायी समाधान” नहीं होने के लिए बीजेपी पर विश्वासघात करने का आरोप लगा रहे हैं.
कांग्रेस और निर्दलीय भी बढ़ा रहे हैं मुसीबत
भाजपा के बलदेव शर्मा सामने कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह भी मजबूत दावेदार हैं जो कटरा और वैष्णो देवी मंदिर के बीच ट्रैक पर काम करने वाले पोनीवालों और पिठुओं के संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. शर्मा को इस सीट पर लगभग 9,000 मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन की उम्मीद है.
पूर्व मंत्री जुगल किशोर, जो कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी में शामिल हो गए थे, वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें भी प्रचार अभियान के दौरान ठीक-ठीक समर्थन मिला था. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस धार्मिक नगरी में जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा में भेजती है.