
Bihar Land Scam: बिहार में करोड़ों-अरबों की सरकारी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर, जानिए कैसे हो रहा फर्जी जमाबंदीकरोड़ों की सरकारी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर है. फर्जी तरीके से जमाबंदी कायम कर जमीन कब्जा किया जा रहा है. गोपालगंज में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें भू-माफियाओं ने सरकारी बस स्टैंड, गंडक नदी और लाइब्रेरी फर्जी तरीके से जमाबंदी करा लिया.
हाइलाइट्स
- एसडीएम के खुलासे के बाद राजस्व विभाग में मच गयी है खलबली
- अंचल कार्यालय से मिलकर माफिया ने बनवाया था फर्जी जमाबंदी
- जमाबंदी रजिस्टर में छेड़छाड़ कर बनाया जा रहा फर्जी जमाबंदी
रिपोर्ट- गाेविंद कुमार
गोपालगंज. बिहार में एक ओर तो जमीन सर्वे का काम तेजी से चल रहा है. वहीं बिहार में करोड़ों की सरकारी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर है. दरअसल राज्य में सालों से फर्जी तरीके से जमाबंदी कायम कर जमीन कब्जा किया जा रहा है. गोपालगंज में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें भू-माफियाओं ने सरकारी बस स्टैंड, गंडक नदी और लाइब्रेरी फर्जी तरीके से जमाबंदी करा लिया. हालांकि बाद में मामला उजागर हाेने पर डीएम ने जांच करायी और जमाबंदी को रद्द कराते हुए संबंधित अंचल कार्यालय के कर्मियों और राजस्व विभाग के अफसरों पर कार्रवाई की गयी. मगर फर्जी तरीके से जमाबंदी कैसे हो रही, इस रिपोर्ट से जानिये.
बता दें, नगर परिषद के राजेंद्र बस स्टैंड की 85 कट्ठा जमीन है. यहां भू-माफिया अजय दूबे ने अंचल कर्मियों की मिली भगत से फर्जी जमाबंदी करा ली थी. वर्ष-1980-81 में जमाबंदी कायम करने के लिए रिपोर्ट सीओ द्वारा नगर परिषद को दिया गया था. हैरानी की बात है कि भू-माफिया का उम्र जमाबंदी के समय महज दो साल की थी. इस उम्र में अरबों की जमीन की जमाबंदी कैसे करा ली.
जांच में खुला बड़ा राज
डीएम मकसूद आलम ने पूरे मामले की जांच सदर एसडीएम डॉ प्रदीप कुमार से करायी. एसडीएम की जांच में यह पाया गया कि रिपोर्ट-2 रजिस्टर में छेड़छाड़ की गई थी और फर्जी जमाबंदी का पेज अलग से जोड़ा गया था. एक ही दिन में 40 साल की रसीदें काटी गईं, और बिना स्पॉट वेरिफिकेशन के सीओ ने ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी की. एसडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं. मामले में सदर अंचल के सीओ गुलाम सरवर, सीआई जटाशंकर प्रसाद और राजस्व कर्मचारी दिनेश चंद्र मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज किया गया है.
कैसे हुआ खुलासा
यह मामला तब प्रकाश में आया जब न्यूज-18 ने फर्जी जमाबंदी के दस्तावेजों का खुलासा किया. प्रशासन ने तुरंत जांच के आदेश दिए, और सदर एसडीएम की रिपोर्ट ने जमीन के कब्जे में गंभीर अनियमितताओं की पुष्टि की. जिलाधिकारी ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है और कहा कि यह कार्रवाई न केवल दोषियों के खिलाफ होगी, बल्कि यह अन्य अधिकारियों को भी एक सख्त संदेश देगी कि गलत काम करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. प्रशासन ने इस मामले की जांच को आगे बढ़ाने और सभी दोषियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है.