
पिछले पांच सालों में गाजियाबाद में केवल 52 दिन ही साफ हवा मिली है। बाकी दिनों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक मध्यम खराब बेहद खराब और गंभीर श्रेणी में रही है। गंभीर श्रेणी की हवा मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होती है। इस श्रेणी की हवा में सांस व दमा के मरीजों को सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है।
HighLights
- 449 दिन खराब और 277 दिन बेहद खराब रही हवा
- प्रदूषण रोकने में फेल साबित हो रहे अधिकारी
राहुल कुमार, साहिबाबाद। सिस्टम की लापरवाही से वायु प्रदूषण लोगों की सांसों पर वार कर रहा है। तमाम योजनाओं के दावे के बाद भी अधिकारी प्रदूषण रोकने में फेल साबित हो रहे हैं। उसी का नतीजा है कि बीते करीब चार वर्ष, आठ माह में केवल 52 दिन ही साफ हवा मिल सकी। बाकी दिन लोग शुद्ध हवा के लिए तरसे रहे।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारियों ने वर्ष 2020 से लेकर अगस्त 2024 तक यानी बीते 1705 दिन की रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के अनुसार, कुल दिनों के सापेक्ष लोगों को तीन प्रतिशत दिन ही साफ हवा मिल सकी।